ज्वालामुखी के प्रकार

ज्वालामुखी के प्रकार

ज्वालामुखी (Volcanoes)  या ज्वालामुखी के प्रकार – ज्वालामुखी के प्रकार उद्भदन के प्रकार के आधार पर ज्वालामुखी को मुख्य रूप से पाँच प्रकारों में विभक्त किया गया है। ये हैं-1. हवाई तुल्य, 2. स्ट्राम्बोली तुल्य, 3. विसूवियस, 4. पीलियन, 5. वलकेनियन तुल्य उभेदन (ज्वालामुखी के प्रकार)। में हम ज्वालामुखी पृथ्वी के अन्तर्जात बलों (Endogenetiction) से … Read more

वायुमंडल की संरचना

वायुमंडल-की-संरचना

वायुमंडल की संरचना (Structure of Atmosphere) – आधुनिक जानकारी के आधार पर प्रभावी वायुमण्डल की ऊँचाई का 16 से 29 हजार किलोमीटर तक अध्ययन किया गया है परन्तु सागर तल से 800 किलोमीटर ऊँचाई तक का वायुमण्डल सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। गैसों के सान्द्रण, सकल वायुमण्डलीय द्रव्यमान (mass), वायुदाब तथा मौसम की घटनाओं की दृष्टि … Read more

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त (Plate Tectonic Theory)

प्लेट विवर्तनिकी

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धान्त (Plate Tectonic Theory) – स्थलीय दृढ़ भूखण्ड को प्लेट कहते हैं। इन प्लेटों के स्वभाव तथा प्रवाह से सम्बन्धित अध्ययन को प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं। प्लेट संकल्पना का प्रादुर्भाव दो तथ्यों के आधार पर हुआ है- (i) महाद्वीपीय प्रवाह की संकल्पना तथा (ii) सागर तली के प्रसार (sea floor spreading) की संकल्पना। … Read more

बिग बैंग सिद्धांत (Big Bang Theory)

बिग बैंग सिद्धांत (Big Bang Theory)-आधुनिक समय में वैज्ञानिकों ने केवल पृथ्वी की उत्पत्ति के स्थान पर पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संबंध में सोचना शुरू कर दिया। बिग बैंग सिद्धांत, जिसे विस्तारित ब्रह्माण परिकल्पना (Expanding Universe Hypothesis) भी कहते है। इसी सोच का परिणाम है। बिंग बैंग एक आधुनिकतम परिकल्पना है जो ब्रह्मांड की … Read more

पेंक का अपरदन चक्र सिद्धांत

पेंक का अपरदन चक्र सिद्धांत

पेंक का अपरदन चक्र सिद्धांत 1924 में प्रस्तुत कियाl जिसे ‘मार्कोलाजिकल सिस्टम’ या ‘मार्कोलाजिकल एनालिसिस’ के नाम से जाना जाता है। पेंक के मॉडल का मुख्य उद्देश्य बहिर्जीत प्रक्रमों तथा आकृतिक विशेषताओं के आधार पर धरातलीय संचलन के विकास एवं उसके कारणों की कल्पना करना था। दूसरे शब्दों में पेंक स्थलरूपों की विशेषताओं की व्याख्या … Read more

वायु द्वारा निर्मित स्थलाकृति

वायु द्वारा निर्मित स्थलाकृति

वायु द्वारा निर्मित स्थलाकृति (Landformas made by Wind) : – वायु द्वारा निर्मित स्थलाकृति जिसमें वातगर्त, छत्रक या गारा, ज्यूजेन, यारडांग, पाषाण जालक,इन्सेलबर्ग, ड्रीकांटर, भू-स्तम्भ, बालू का स्तूप,  बारखन, लोयस मैदान, वायु द्वारा निर्मित स्थलाकृति या बहुत ही महत्वपूर्ण अपरदन के अन्य कारकों के समान पवन भी अपरदन तथा निक्षेपण का एक प्रमुख कारक है … Read more

कोबर का भूसन्नति सिद्धांत

कोबर का भूसन्नति सिद्धांत

कोबर का भूसन्नति सिद्धांत – प्रसिद्ध जर्मन विद्वान कोबर ने वलित पर्वतों की उत्पत्ति की व्याख्या के लिए ‘भूसन्नति सिद्धान्त’ का प्रतिपादन किया। वास्तव में उनका प्रमुख उद्देश्य प्राचीन दृढ़ भूखण्डों तथा भूसन्नतियों में सम्बन्ध स्थापित करना था। कोबर ने इस तरह अपने भूसन्नति सिद्धान्त के आधार पर पर्वत निर्माण की क्रिया को समझाने का … Read more

नदी द्वारा निर्मित स्थलाकृति

नदी द्वारा निर्मित स्थलाकृति

नदी द्वारा निर्मित स्थलाकृति का सामान्य परिचय – भूतल पर समतल स्थापक बलों में बहते हुए जल (नदी) का कार्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। वर्षा का जो जल धरातल पर किसी न किसी रूप में बहने लगता है, उसे बाही जल कहते हैं। नदी द्वारा निर्मित स्थलाकृति जब बाही जल एक निश्चित रूप में ऊँचाई … Read more

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